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Autistic Pride Day
18th June, 2022

Autistic Pride Day
18th June, 2022

हमें ऑटिज्म मरीजों को उनकी दुनिया से बाहर लाना होगा

अपनी दुनिया में लाने के लिए ऑटिज्म के मरीज को मन को समझना होगा

ऑटिज्म के पीड़िता मरीजों के सम्मान के लिए 18 जून को ऑटिस्टिक प्राइड डे

ऑटिज्म या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक दिमागी बीमारी है। इसमें मरीज न तो अपनी बात ठीक से कह पाता है ना ही दूसरों की बात समझ पाता है और न उनसे संवाद स्थापित कर सकता है। यह एक डेवलपमेंटल डिसेबिलिटी है। इसके लक्षण बचपन से ही नजर आ जाते हैं। यदि इन लक्षणों को समय रहते भांप लिया जाए, तो काबू पाया जा सकता है। बच्चों को झूठ बोलना नहीं आता है। कई बार उनके हावभाव बिल्कुल आम बच्चों से अलग होते है। हम लोगों को उन्हें अपने हर जश्न में शामिल करना उनकी जिंदगीं को आम बनाना चाहिए। अपनी दुनिया में लाने के लिए ऐसे मरीजों के दुनिया में हमें पहले खुद जाना होगा। यह बात आदीस नेस्ट की फाउंडर और ऑटिज्म स्पेशलिस्ट डॅा. दीप्ति जैन ने मालवांचल यूनिवर्सिटी में ऑटिस्टिक प्राइड डे के लिए आयोजित सेमिनार में कहीं। हर वर्ष आटिज्म बीमारी से पीड़ित बच्चों को समाज से जोड़ने की पहल के रूप में यह दिवस 18 जून को मनाया जाता है।

बीमारी की सही जानकारी होना जरूरी
मुख्य अतिथि डॅा.रितु गुप्ता ने संदेश में कहा कि मालवांचल यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों को ऑटिज्म बीमारी पर एक ही संदेश देना चाहती हूं ऑटिज्म की बीमारी काफी हद तक आपके व्यवहार के जरिए भी मरीज को ठीक कर सकती है। हर व्यक्ति को इस बीमारी के बारे में सही जानकारी होना चाहिए। इस अवसर पर इंडेक्स समूह के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया, डायरेक्टर आर सी राणावत,एडिशनल डायरेक्टर आर सी यादव,मालवांचल यूनिवर्सिटी के कुलपति एन.के.त्रिपाठी, प्रो.चासंलर डॅा.संजीव नारंग, इंडेक्स मेडिकल कॅालेज डीन डॉ. जीएस पटेल,इंडेक्स मेडिकल अस्पताल अधीक्षक लेफ्टिनेंट कर्नल डॅा.अजयसिंह ठाकुर,इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, शिशुरोग विभाग,एचओडी डॅा.स्वाति प्रशांत उपस्थित थे। कार्यक्रम आईआईडीएस असिस्टेंट डीन डॉ.दीप्ति सिंह हाड़ा और डॉ.पूनम तोमर राणा के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।

छोटे बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण
डॅा.दीप्ति जैन ने कहा कि बच्चे हमारी भाषा तो नहीं समझते, लेकिन हाव भाव और इशारों को समझना शुरू कर देते हैं। जिन बच्चों में ऑटिज्म के लक्षण होते हैं, उनका बर्ताव अलग होता है। वे इन हाव भाव को समझ नहीं पाते या इन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देते हैं। ऐसे बच्चे निष्क्रिय रहते हैं। बच्चा जब बोलने लायक होता है तो साफ नहीं बोल पाता है। उसे दर्द महसूस नहीं होगा। आंखों में रोशन पड़ेगी, कोई छुएगा या आवाज देगा तो वे प्रतिक्रिया नहीं देंगे। थोड़ा बड़ा होने पर ऑटिज्म के मरीज बच्चे अजीब हरकतें करते हैं जैसे पंजों पर चलना। उन्होंने कहा कि ऑटिज्म का इलाज आसान नहीं है। बच्चे की स्थिति और लक्षण देखते हुए डॉक्टर इलाज तय करता है। बिहेवियर थेरेपी, स्पीच थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी से शुरुआती इलाज होता है। जरूरत पड़ने पर दवा दी जा सकती है। बिहेवियर थेरेपी, स्पीच थेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी का यही उद्देश्य है कि बच्चे से उसकी भाषा में बात की जाए और उसके दिमाग को पूरी तरह जाग्रत किया जाए। ठीक तरह से इन थेरेपी पर काम किया जाए तो कुछ हद तक बच्चा ठीक हो जाता है

आपका व्यवहार ही ऑटिज्म बच्चों का इलाज
इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, शिशुरोग विभाग,एचओडी डॅा.स्वाति प्रशांत ने कहा कि ऑटिज्म के मरीज बिल्कुल अलग ही दुनिया में जीता है। परिवार की थोड़ी से मदद उसे सामान्य जीवन जीने में मदद कर सकते है। यह बच्चें आम बच्चों से बिल्कुल अलग होते है।,यह बच्चा ऑटिज्म से पीड़ित होगा इसकी कोई जांच या टेस्ट मेडिकल में मौजूद नहीं है। डॉक्टरों के पास भी इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। बच्चे को जीवनभर इस खामी के साथ जीना पड़ता है। हां, लक्षणों को जरूर कम किया जा सकता है। गर्भावस्था की जटिलताओं के कारण भी बच्चे इसका शिकार बनते हैं। सामान्य इंसान में दिमाग के अलग-अलग हिस्से एक साथ काम करते हैं, लेकिन ऑटिज्म में ऐसा नहीं होता। यही कारण है कि उनका बर्ताव असामान्य होता है। यदि ठीक से सहायता मिले तो मरीज की काफी मदद हो सकती है।अधिकांश बच्चों में अनुवांशिक कारणों से यह बीमारी होती है। कहीं-कहीं पर्यावरण का असर इस बीमारी का कारण बनता है।

Event Details

  • Date: June 18, 2022
  • Time: 8:00 am - 5:00 pm
  • Event Category:

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